Sans Kaise Lena Chahiye: हम शुरुआत श्वास लेने की क्रिया से करते हैं. क्यूंकि साँसों के बिना हमारे जीवन की कल्पना भी नही की जा सकती. आज की परिस्थिति(corona situation) में तो हमे सही तरीके से सांस लेना चाहिए. साँसों को कैसे हम अपने लम्बे स्वस्थ की जान बनाए? आइये जानते हैं sans kaise lena chahiye!!
Sans Lene Ka Sahi Tarika/ Sans Kaise Lena Chahiye
- साँसें गहरी और शांत लेनी चाहिए.
- साँसों में ली गयी हवा की मात्रा न तो बहुत ज्यादा हो और न ही बहुत कम.
- जिस प्रकार हवा की कम मात्रा साँसों में लेना स्वास्थ के लिए हानिकारक है, उसी प्रकार आवश्यकता से अधिक मात्रा में हवा भी स्वस्थ्य को नष्ट करती है.
- मुँह से सांस लेना बहुत हानिकारक है, इसलिए कोशिश करना के मुँह से सांस ना ही लें.
- कोशिश करे उबासी भी बंद मुँह से ही लें.
- रात में सोते समय हमारा मुँह खुला न हो, इसके लिए यदि हो सके तो मुँह पर सोते समय कोई पट्टी बाँध लें पर कम्बल, चादर आदि से पूरा मुँह ढांककर कभी न सोएं.
उथली या हलकी साँसें सभी रोगों का मूल हैं, गहरी साँसें शारीर और आत्मा का बल हैं .
डॉ. मुल्तानी
Sans Kaise Lete Hai | Science Of Breathing in Hindi

ऑक्सीजन(oxygen) को प्राण वायु कहा जाता है. तथा कार्बन-डाई-ऑक्साइड(CO2) को वेस्ट गैस (Waste Gas) कहा जाता है. ऑक्सीजन(oxygen), सेल्स या कोशिकाओं के लिए भोजन है, यह एनज्य्म्स(enzymes) की उपस्तिथि में ग्लूकोस(glucose) का पाचन करती है जिससे उर्जा का निर्माण होता है तथा वेस्ट के रूप में कार्बन-डाई-ऑक्साइड बहार हो जाती है. यह वेस्ट कार्बन-डाई-ऑक्साइड रक्त में मिल जाती है तथा फेफड़ों तक पोहोच कर नाक के रस्ते शरीस से निकाल जाती है. इस क्रिया को श्वसन(Respiration) कहते हैं. अब आपको sans kaise lete hai पता चल गया होगा.
अब थोडा गहराई से समझते हैं. वायुमंडल में ऑक्सीजन(Oxygen) 150 mmHg तथा कार्बन-डाई-ऑक्साइड(CO2) 0.2 mmHg के आयतन (Volume) में होती हैं. रक्त में इसका आयतन 100 mmHg और 40 mmHg होना चाहिये. ऐसी स्थिति होने पर ही रक्त का pH Level सही रहेगा और इसी रक्त को शुद्ध रक्त कहा जाता है. अगर किसी व्यक्ति का रक्त इस अवस्था में है, तो वह व्यक्ति सभी बीमारियों से मुक्त रहेगा और यदि यह साम्य टूटेगा तो रोगों की उत्पत्ति होने लगेगी.
यदि कोई व्यक्ति वातावरण से कम मात्रा में वायु साँसों के माध्यम से लें तो ऑक्सीजन का लेवल रक्त में कम हो जाएगा जो के रक्त के pH को असंतुलित करेगा. और यदि कोई व्यक्ति आवश्यकता से अधिक वायु साँसों के माध्यम से लेगा तो उससे कार्बन-डाई-ऑक्साइड का स्तर कम हो जाएगा. और यह स्थिति भी रक्त के pH को बिगाड़ेगी. अतः हम केवल यह न समझें कि अकेले ऑक्सीजन का स्तर रक्त में बढ़ाते जाएंगे तो स्वस्थ रहेंगे. कार्बन-डाई-ऑक्साइड भी हमारे लिए ऑक्सीजन की ही तरह ज़रूरी है.
इसे ऐसे समझें जैसे कि बिल्डिंग बनाने के लिए सीमेंट और रेत का एक निश्चित अनुपात ही आवश्यक होता है. इनके अनुपात में गड़बड़ी से बिल्डिंग सही नहीं बन सकती. इसके लिए आप sans kaise lena chahiye अच्छे से पढ़िए.
लगभग 400 से अधिक रोगों का कारण ओवर ब्रीथिंग (जरूरत से अधिक सांस लेना) है. ओवर ब्रीथिंग का एकमात्र कारण मुंह से सांस लेना है क्योंकि नाक की तुलना में मुंह से एक ही समय में पाँच से दस गुना ज्यादा हवा प्रवेश कर जाती है. इनमें कई बड़ी बीमारियाँ भी हैं. जैसे अस्थमा, ब्लडप्रेशर, मिर्गी तथा छोटी समस्याएँ जैसे साइनुसाइटिस, डैण्ड्रफ, बालों का सफेद होना, मसूढ़ों की बीमारियाँ, दाँतों का सड़ना, पेट की समस्याएँ और सीने का दर्द आदि.
यदि हम केवल अपनी ब्रीथिंग को नियंत्रित कर लें तो 400 से अधिक बीमारियों से बच सकते हैं. और यह आपके स्वास्थ्य के लिए एक क्रांतिकारी परिवर्तन होगा.
Nak Se Sans Lene Ke Labh
अब हम Nak se sans lene ke labh जानना चालु करते है:-
जो लोग हमेशा नाक से सांस लेते हैं जैसे जागते समय, व्यायाम करते समय, और यहाँ तक के सोते समय भी तो ऐसे लोगों को अस्थमा, खर्राटे लेने जैसी समस्याओं से बचे रहने में सहायता मिलती है.
हेल्थ एक्सपर्ट्स की माने तो जो लोग सांस सही तरीके और सही गति (सांस लेने और सांस छोड़ने की प्रक्रिया) का ध्यान रखते हुए लेते हैं, उन्हें अपना वजन maintain करने में सहायता होती है.
नाक से सांस लेने के चलते ब्रेन और बॉडी में ऑक्सीजन का स्तर सही रहता है, इससे हम बदलते मौसम में होने वाली कई तरह की एलर्जी से सुरक्षित रहते है.
Nak se sans lene se तनाव (stress) का स्तर कम रहता है जिससे एकाग्रता बनाए रखने में सहायता मिलती है. आपको यह पॉइंट sans kaise lena chahiye में भी बताया है.
Sans Lene Me Taklif Kaise Hoti Hai
कई लोगो को सांस लेने में आज कल तकलीफ होने लगी है और यह आम बनती जा रही है. इसके कई कारण हो सकते है, तो चलिए जानते हैं के sans lene me taklif kaise hoti hai.
ज्यादा वजन होने से(being overweight)
जिसका वजन ज्यादा हो जाता है, उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मोटे लोगों को सांस फूलने की बहुत ही ज्यादा समस्या रहती है.
ज्यदा खाना खाने से(by eating too much food)
ज्यादा खाना खाने के बाद भी सांस लेने में परेशानी हो सकती है. लेकिन अगर ऐसा बार-बार होता है और लंबे समय तक यह परेशानी बनी रहती है तो ध्यान देने की जरूरत है. सांस नली के जाम होने या फेफड़ों में छोटी-मोटी परेशानी होने पर सांसें छोटी आने लगती हैं. यदि आपको यह परेशानी लंबे समय से है तो आप एक बार किसी डॉक्टर को दिखाए वे सही सलाह देंगे.
तनाव के कारण(due to tension)
जो लोग बहुत अधिक तनाव (tension) में रहते हैं, उन्हें अक्सर सांस लेने में परेशानी होती है. वे या तो बहुत जल्दी-जल्दी सांस लेते हैं या सीने में भारीपन का अहसास होने के कारण उनकी सांस लेने की गति बहुत धीमी(slow) होती है. इन दोनों ही स्थितियों में उनकी सांस बहुत छोटी होती है. इस कारण उनके फेफड़ों में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन (oxygen) नहीं पहुंच पाती है और इससे सांस लेने में दिक्कत होती है.
सूजन और इंफेक्शन के कारण(due to inflammation and infection)
सांस की नली में सूजन, किसी इंफेक्शन या किसी अन्य कारण से जब ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में शरीर के अंदर प्रवेश नहीं कर पाती है तो आपकी सांसे छोटी होने लगती हैं. यह बीमारी अगर लंबे समय से चली आ रही है तो आप अपने डॉक्टर को दिखाए.
यह सारी परेशानी आपको सही से सांस न लेने के कारण होती है तो अप एक बार अच्छे से sans kaise lena chahiye ध्यान देकर पढ़ें.
Sans Lene Me Pareshani Ke Gharelu Upchaar
- अपने घर को साफ रखने के साथ-साथ अपने बिस्तर को भी साफ रखें.
- घर में वेंटिलेशन का पूरा ध्यान रखें.
- सिगरेट पीते हैं तो इसे जल्दी से छोड़ दें. धूम्रपान (smoking) की वजह से न केवल आपको सांस लेने में दिक्कत होगी बल्कि कैंसर (cancer) जैसी कई गंभीर समस्याओं का भी आपको सामना करना पड़ सकता है.
- व्यायाम नहीं करते हैं तो आप सुबह-शाम व्यायाम करना शुरू कर दें. ध्यान दें, अगर आप प्रदूषित शहर में रहते हैं, तो कोशिश करें कि आप घर पर ही व्यायाम करें.
- वजन कम करने की कोशिश करें. मोटापा फेफड़े को सही ढंग से काम करने से रोकता है. इसके लिए आप अपने खाने-पीने पर ध्यान दें.
- अदरक बहुत कारगर होता है, अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े क्र लें फिर उसे देशी घी में भुन लें. फिर उसे दिन में 4-5 बार चबा कर खा जायें. लहसुन भी काफी फायदेमंद होती है.
आपको अब sans lene me pareshani ke gharelu upchaar भी बता दियें हैं तो देर किस बात की आप भी ये उपचार अपनाकर देखिये.
आप सही तरीके से सांस लेना तो सीख गये होगे…अगर आपको पानी पिने का सही तरीका भी मालूम चल जाये तो आपके लिए कितना अच्छा होगा.
Running करते समय सांस कैसे लेना चाहिए?

जब आप दौड़ना शुरू करते हैं तो शुरुआत में आप सिर्फ नाक से ही सांस लें और नाक से ही छोड़े. आप अपनी गति के अनुसार पैटर्न बदल सकते हो. जब आप दौड़ रहे हों, तो ऑक्सीजन की जरूरत को पूरा करने के लिए अपनी नाक से सांस लें और मुँह से छोड़े फिर कुछ और अगर आपकी दौड़ लम्बी हैं तो मुँह से ही सांस लें और मुँह से ही छोड़े.
केंचुआ सांस कैसे लेता है?
केंचुआ अपनी त्वचा(skin) से सांस लेता है क्यूँकी उसके पास फेफड़े(lungs) नहीं होते है.
डोल्फिन(dolphin) और व्हेल मछली(Whale) सांस कैसे लेती है?
डॉल्फिन कुछ मिनट तक पानी के अंदर रह सकती है वो भी बिना सांस लिए. उसे सांस लेने के लिए पानी की सतह पर आना पड़ता है. क्यूँकी डोल्फिन(Dolphin) और व्हेल(Whale) के पास गिल्स नही होते उनके पास फेफड़े(lungs) होते हैं. और जैसे इंसान नाक से सांस लेते हैं वैसे ही इनके पास ब्लो-होल(Blowhole) होता है वह Blowhole से सांस लेती हैं.
मछली सांस कैसे लेती है?
डोल्फिन, व्हेल, सील तथा अन्य जलीय स्थान्धारियों को छोड़कर सभी मछलियाँ गिल्स से सांस लेती है. मुँह में भरा हुआ पानी गिल्स में जाता है और क्लोम दरारों (branchial clefts) से बहार हो जाता है. यह गिल्स उस पानी से ऑक्सीजन खिंच लेते हैं.
Conclusion / निष्कर्ष:
हर कोई जनता है sans kaise lena chahiye, हम जब पैदा होते है तो सबसे पहली चीज़ हम सांस लेने से शुरुआत करते हैं. दोस्तों आज हमने आपको sans kaise lena chahiye, sans lene ka sahi tarika, Sans Kaise Lete Hai, Nak Se Sans Lene Ke Labh, Sans Lene Me Taklif Kaise Hoti Hai, और Sans Lene Me Pareshani Ke Gharelu Upchaar विस्तार में समझाया है.
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