आँखें प्रकृति की अनमोल देन हैं. इनके बगैर सारा संसार अंधकारमय हो जाता है. इसलिए हम आपके लिए Gharelu Nuskhe For Eyesight in Hindi लेकर आये है.
तो हमको आंखों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए हर जरूरी उपाय करते रहना चाहिए. आंखों में कुछ विशेष कारणों से तरह-तरह के रोग हो जाते हैं.
उदाहरण के लिए पढ़ने-लिखने की व्यवस्था ठीक प्रकार से न होना, महीन अक्षरों को आंखें गड़ाकर पढ़ना, धूल, धुआं, मिट्टी, कालिख आदि का आंख में गिरना, तम्बाकू व चाय का अधिक मात्रा में सेवन करना, अधिक सिनेमा या टी.वी. देखना तथा पौष्टिक पदार्थों का सेवन न करना आदि.
आंखों के रोग में लापरवाही बरतना घातक होता है. जब हम देर तक पढ़ते या लिखते हैं तो गर्दन की नसें थक जाती हैं. मस्तिष्क में खून का संचरण ठीक प्रकार से नहीं होता.
इसके अतिरिक्त रीढ़ की हड्डी पर भी जोर पड़ता है. ऐसी दशा में हमें कम प्रकाश में अधिक गर्दन झुकाकर पढ़ाई-लिखाई का कार्य नहीं करना चाहिए ताकि गर्दन व आंखों पर अधिक जोर न पड़े.
पुस्तक को सही ऐंगिल(angle) पर रखें. इसी प्रकार चलती हुई ट्रेन, बस या कार में बैठकर पुस्तक नहीं पढ़ना चाहिए, क्योंकि इससे आंखों की मांसपेशियां पर भार और खिंचाव पड़ता है. फलस्वरूप आंखों में पीड़ा और जलन होने लगती है.
यहां हम आंखों के प्रमुख रोगों के कारणों तथा उनसे बचने के उपायों की चर्चा करेंगे. किसी ने ठीक ही कहा है-आंख है तो दुनिया है. इसलिए हमें इस छोटी-सी कहावत पर ध्यान देकर आंखों की रोशनी बनाए रखने के उपायों का पालन करना चाहिए.
Gharelu Nuskhe For Eyesight और आंखों के अन्य नुस्खे
आंखें दुःखने के घरेलु नुस्खे (Ankh Dukhne Ke Gharelu Nuskhe)
प्रायः छोटे-बड़े लोगों की आंखें किन्हीं कारणवश दुःखने लगती हैं। यदि शरुआती दौर में ही इन पर ध्यान दिया जाए तो घातक परिणाम नहीं होता। इसके अलावा नियमित रूप से आंखों को दिन में कई बार धोने अथवा उन पर पानी के छींटे मारने चाहिए। इससे भी आंखों का रोग होने की संभावना नहीं रहती।
आंखें दु:खने का कारण :- ठंड लगने, आंखों में चोट लग जाने, धूल-धुआं पड़ जाने, संक्रमण, तेज धूप में रहने, ठंडी हवा लगने तथा चेचक, सूजाक आदि के कारण आंखें दुःखने लगती है। लाल-लाल आंखें देखकर हर कोई कह देता है कि आंखें आ गई है।
पहचान :- आंखें लाल हो जाती हैं. पलकों पर सूजन आ जाती है. आंखों में जलन, लपकन, पीड़ा आदि होती है. पानी बहने के कारण आंखें खुल नहीं पातीं. आंखें खोलकर देखना कठिन हो जाता है. रोशनी में आंखों के भीतर चमक-सी भर जाती है. कभी-कभी आंखों में मैल कीचड़ के रूप में दिखाई देता है. सुबह आंखें चिपक जाती हैं.
घरेलु नुस्खे :-
- लौकी का छिलका छीलकर सुखा लें। अब उनको जलाकर राख कर लें. फिर खरल में पीसकर बारीक करें। सुबह-शाम इस अंजन को सलाई से आंखों में लगाएं. दुःखती आंख बड़ी जल्दी ठीक हो जाएगी.
- त्रिफला का आधा चम्मच चूर्ण रात को सोते समय शहद के साथ सेवन करें। इससे आंखों की बहुत-सी बीमारियां दूर हो जाती हैं।
- कालीमिर्च के चूर्ण को नियमित रूप से मक्खन के साथ खाने से आंखों की ज्योति बढ़ती है तथा पलकों की सूजन चली जाती है।
- आंखों में शहद डालने से आंखों की लाली कम हो जाती है।
- दु:खती आंखों में गुलाब जल में फिटकरी मिलाकर सुबह-शाम डालें।
- पानी में थोड़ी-सी फिटकरी घोलकर आंखों में सलाई से लगाएं.
- तुलसी का अर्क तैयार करके आंखों में डालें। हरे धनिए को पानी में अच्छी तरह धोकर उसे गुलाब जल में मसल लें। इस पानी को छानकर आंखों में बूंद-बूंद डालें।
- काजल में थोड़ा-सा कपूर मिलाकर आंखों में लगाएं।
- अफीम, फिटकरी तथा रसौत-सभी 3-3 ग्राम की मात्रा में लेकर पीस लें। फिर उसका लेप बनाकर आंखों की पलकों पर लगाएं.
- दुःखती आंखों को नीम के पानी से छप्पे मारकर धोएं.
गुहेरी के घरेलु नुस्खे (Guheri ka Gharelu ilaj)
इस रोग में आंखों की किसी एक पलक पर या कोने में एक फुंसी निकल आती है। यह बंद गांठ-सी होती है। इसे छूने पर कड़ापन मालूम पड़ता है.
कारण :- आंखों में गुहेरी होने पर आंखें बंद करने पर पीड़ा होती रोग विटामिन ‘ए’ और विटामिन ‘डी’ की कमी से उत्पन्न होता है। अतः रोग का इलाज करने के साथ-साथ ऐसी खाद्य वस्तुओं का सेवन करना चाहिए जिनमे विटामिन ‘ए’ और ‘डी’ पाए जाते हों।
पहचान :- गुहेरी होने पर आंखों में बहुत दर्द तथा लपकन होती है। जब यह पक जाती है तो इसमें पीव पड़ जाती है। यह अजीर्ण और कब्ज के कारण भी निकल आती है।
नुस्खे :-
- इमली के बीज की गिरी पीसकर गुहेरी पर लगाएं।
- 2 लौंग घिसकर लगाने से गुहेरी बैठ जाती है।
- कालीमिर्च को पानी में घिसकर गुहेरी पर बड़ी होशियारी से लगाएं।
- बेल की पत्तियों का रस निकालकर गुहेरी में लगाने से वह नहीं पकती।
- पान के पत्तों का रस गुहेरी पर लगाने से तीन-चार दिनों में ही गुहेरी सूख जाती है।
- तुलसी के डंठल को पानी में घिसकर पलकों पर लगाएं।
- गुहेरी पर चंदन लगाने से काफी लाभ होता है।
- मोगरे के फूलों को कुचलकर गुहेरी पर लगाना लाभदायक होता है।
- गुहेरी पर काजल-कपूर या काफूरी काजल लगाना चाहिए।
- शुद्ध शहद लगाने से गुहेरी सूख जाती है।
- गोमूत्र को दिन में तीन बार गुहेरी पर लगाएं।
- एक रत्ती अफीम, दो रत्ती फिटकरी तथा तीन रत्ती रसौत को पीसकर गुहेरी पर लगाएं.
- इमली के बीज की गिरी साफ पत्थर पर घिसकर बार-बार गुहेरी पर लगाए। इससे आराम होगा।
- आंखों की पलकों पर सामान्य रूप से और गुहेरी पर चंदन घिस कर दिन में 2-3 । बार लेप करें। फायदा होगा।
- रसौत को स्त्री के दूध में घिसकर लगाने से चंद दिनों में ही आराम मिलता है।
- धनिया और पुदीने की हरी पत्तियां पीसकर उनका हल्का लेप करने से गुहेरी पर लगाने से लाभ होता है।
- आम और जामुन की गुठली को दूध के साथ पत्थर पर घिसकर गुहेरी पर बार-बार लेप करने से जल्द आराम होता है।
- हल्दी को दूध या पानी में घिसकर गुहेरी पर लगाएं।
- रात को एक बादाम दूध में भिगोकर रख दें। सुबह उसे चंदन के साथ घिसकर गुहेरी पर लगाने से फायदा होता है।
- बेरी की गुठली को घिसकर तीन-चार बार गुहेरी पर लेप करने से भी लाभ होता.
मोतियाबिंद के घरेलु नुस्खे (Motiyabind ka Gharelu ilaj)
मोतियाबिंद होने पर आंखों की पुतली पर सफेदी आ जाती है और रागी की दृष्टि धुंधली पड़ जाती है। वह किसी चीज को स्पष्ट नहीं देख सकता। आंखों के आगे धब्बे और काले बिंदु-से दिखाई पड़ने लगते हैं। जैसे-जैसे रोग बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे रोगी ठीक से देखने में असमर्थ हो जाता है।
कारण :- आंखों में चोट लगने, घाव हो जाने. आंखों की बनावट में कोई खराबा आने, बुढ़ापे की हालत, मधुमेह, गठिया. अत्यधिक कुनीला खाने, शरीर में पसीना बंद हो जाने आदि कारणों से आंखों में फुड़िया-सी बन जाती है। यह पतली तथा उसके आसपास भीतरी परदे पर होती है। इसी को मोतियाबिन्द अर्थात मोती की तरह बिन्दु कहते हैं। यह शुरू में एक आंख पर होता है। फिर कुछ काल के बाद दूसरी आंख में भी हो जाता है।
पहचान :- मोतियाबिन्द कठोर तथा मुलायम दो प्रकार का होता है। कोमल या मुलायम मोतियाबिंद आसमानी रंग का होता है। यह 30-35 वर्ष की उम्र तक होता है। लेकिन कठोर मोतियाबिंद वृद्धावस्था में होता है। यह धुमैले रंग का होता है। यह एक या दोनों आंखों में हो सकता है। इसके कारण कुछ भी दिखाई नहीं देता क्योंकि यह रोशनी के परदे को घेर लेता है।
घरेलू नुस्खे :-
- आंखों में शुद्ध शहद सलाई से बराबर लगाते रहें । मोतियाबिंद कट जाएगा।
- 2 सत्यानाशी का पीला दूध नित्य सलाई से आंखों में लगाएं।
- सत्यानाशी का पीला दूध नित्य सलाई से आंखों में लगाएं।
- रीठे को पानी में भिगो दें। इसके बाद पानी को उबाल-छान लें। इसमें से नित्य एक सलाई सोते समय आंखों में लगाएं।
- गुलाबजल में रसौत, फिटकिरी का फूला, सेंधा नमक तथा मिश्री-सभी 3-3 ग्राम की मात्रा में अच्छी तरह पीसकर मिला लें। फिर जल को छानकर शीशी में भर लें। इसे सुबह-शाम पिचकारी से बूंद-बूंद आंखों में डालें।
- आंखों में ताजे अनार का रस डालें। 0 माता का दूध दो माह तक नित्य नियमित रूप से आंखों में डालना चाहिए। मोतियाबिन्द गल जाएगा।
- गाय या बछिया का ताजा मूत्र आंखों में डालें।
- हल्दी को आग में भूनकर धो डालें। फिर इसे पीसकर आंखों की पलकों पर लगाएं।
- अफीम, फिटकिरी और रसौत–तीनों को समान मात्रा में लेकर खरल कर लें। फिर इसे आंखों की पलकों पर लगाएं।
- सौंफ और धनिया को समान मात्रा में लेकर उसमें भूरी शक्कर मिलाएं। इसको 10-10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।
- बादाम की गिरी और 7 काली मिर्च को पीसकर पानी मिलाकर छलनी से छान लें उसमें मिश्री मिलाकर पीने से लाभ होता है।
- 10 ग्राम सफेद डेकन पेप्पर और 50 ग्राम बादाम की गिरी एक साथ पीस कर उसमें 36 ग्राम भूरी शक्कर व 22 ग्राम घी मिलाएं। इस मिश्रण को 20-20 ग्राम सुबह शाम लेने से मोतियाबिंद ठीक हो जाता है।
- आंखों को तकलीफ हो तो गाय का दूध ज्यादा पीना चाहिए। मेथी, भिंडी, पालक, केला, अंगूर, सेब, नारंगी, अनार आदि ज्यादा खाना चाहिए। खट्टी और तीखी चीजें नहीं खानी चाहिए। तेज रोशनी और मानसिक तनाव से भी बचना जरूरी है क्योंकि इनकी वजह से तकलीफें और भी बढ़ सकती हैं।
- प्याज का रस, शुद्ध शहद 10-10 मि.ली. भीमसेनी कपूर 2 ग्राम तीनों को अच्छी तरह मिलाकर शीशी में भर लें और रात को सोते समय सलाई से आंखों में अंजन करें। सुबह भी ऐसा करें, जिससे मोतियाबिंद में काफी लाभ होता है।
- गाजर, पालक और आंवले के रस का सेवन करने से मोतियाबिंद बढ़ता नहीं और दो-तीन महीने में ही कटकर साफ हो जाता है।
- एक चम्मच पिसा हुआ धनिया, एक कप पानी में उबाल कर छान लें। ठंडा होने पर आंखों में डालें। इस प्रयोग से मोतियाबिंद ठीक हो जाता है।
रतौंधी के घरेलु नुस्खे (Ratondhi ka Gharelu ilaj)
रतौंधी एक ऐसा रोग है जिससे रोगी को आंखों में कोई कष्ट तो नहीं होता, लेकिन उसे रात के समय देखने में बड़ी परेशानी होती है। ऐसा रोगी हीन भावना का शिकार हो सकता है।
कारण :- रतौंधी विटामिन ‘ए’ और विटामिन ‘बी’ की कमी से होता है। विटामिन ‘ए’ तथा ‘बी’ फलों, दूध, सब्जियों आदि में बहुतायत से पाया जाता है। अत: मौसमी फल एवं सब्जियों का सेवन अवश्य करना चाहिए। जो लोग पौष्टिक आहार नहीं लेते, उनको रतौंधी का रोग लग जाता है।
पहचान :- रतौंधी के कारण रोगी को रात में साफ-साफ दिखाई नहीं देता। दूर तथा नजदीक की भी वस्तुएं उसे पहचानने में कठिनाई महसूस होती है.
घरेलू नुस्खे :-
- आंखों में सुबह-शाम शुद्ध शहद की सलाई लगाएं।
- रात के समय सौंफ तथा बूरा 25 ग्राम की मात्रा में कुछ दिनों तक नित्य सेवन करें।
- देशी घी में एक रत्ती काली मिर्च का महीन चूर्ण मिलाकर आंखों में माना से लगाएं।
- आंखों में पान के पत्ते का रस डालने से रतौंधी का रोग जाता रहता है।
- बथुए का रस बंद-बूंद करके आंखों में डालें तथा सेंधा नमक मिलाकर एक कप की मात्रा में पिलाएं।
- आंखों में शुद्ध देशी घी की सलाई कुछ दिनों तक लगाने से रतौंधी खत्म हो जाती है।
- गुलाब जल में फिटकरी घोलकर आंखों में बूंद-बूंद डालें।
- आंखों में अनार का रस डालने से रतौंधी का रोग जाता रहता है।
- पानी में थोड़ा-सा सिरका तथा शहद मिलाकर कुछ दिनों तक रोज पीने से रतौंधी खत्म हो जाती है।
- रात को दो हरड़ साफ पानी में भिगो दें। फिर इस पानी से सुबह के समय आंखें धोएं।
- दूब घास को पीसकर आंखों की पलकों पर लेप लगाना चाहिए।
- सिरस के पत्तों का रस तीन-चार बूंद की मात्रा में नित्य आंखों में डालें।
- दस बेल के ताजे पत्ते, 6 दाने काली मिर्च और 25 ग्राम चीनी को पानी में खूब बारीक पीसकर सुबह-शाम सेवन करने से रतौंधी रोग दूर हो जाता है।
- जीरा का चूर्ण बनाकर 1-1 चम्मच मिश्री के साथ सुबह-शाम सेवन करने से रतौंधी दूर होती है।
- ग्वार के मुलायम पत्तों का साग एक महीने तक नियमित खाने से रात में न दिखाई पड़ने की शिकायत दूर हो जाती है।
- सुबह-शाम टमाटर के रस का सेवन करने से रतौंधी में लाभ होता है. दृष्टि स्वच्छ होती है और आंखों का तेज बढ़ता है।
- टब में पानी भरकर उसमें एकटक निरंतर कुछ समय तक देखने से नेत्र-ज्योति बढ़ती है और आंखों की रतौंधी दूर होती है।
आंख लाल पड़ना (Aankh lal hona gharelu upay)
किन्हीं कारणवश जब आंखों में कोई पदार्थ पड़ जाता है तो वे लाल हो जाती हैं। ऐसे में महसूस होता है, मानो आंख जल रही हो। आंखें लाल हो जाने पर गरम पदार्थों एवं मिर्च-मसालों का प्रयोग बंद कर देना चाहिए।
कारण :- आंखों में धूल, धुआं, तिनका, मिट्टी, कोयले की किनकी, पानी या कोई दवा पड़ जाने से वे लाल हो जाती हैं। रात को देर तक जागते रहने से भी आंखों में लालिमा उभर आती है।
पहचान :- आंखें लाल हो जाने पर उनमें तीव्र जलन एवं पीड़ा होती है। आंखें खोलना रोगी के लिए कष्टदायी होता है। ऐसा व्यक्ति बड़ी बेचैनी आर कष्ट महसूस करता है।
घरेलु नुस्खे :-
- रात को दो चम्मच त्रिफला दो गिलास पानी में भिगो दें। सुबह पानी छानकर आंखों को बार-बार धोना चाहिए।
- गुलाब जल में जरा-सी फिटकरी का पानी मिलाकर पिचकारी से आंखों में प्रतिदिन दो बार डालें।
- कड़वे तेल से बना काजल आंखों में लगाएं।
- आंखों में अनार का रस डालने से लाली छंट जाती है।
- आंवले के रस को सलाई से आंखों में लगाएं।
- पान के पत्तों का रस आंखों में डालने से लाली जाती रहती है।
- हल्दी, फिटकरी और इमली के पत्ते-इन तीनों को समभाग में लेकर पीसें। फिर उसकी पुल्टिस बनाकर और गर्म करके आंखों पर हल्का-सा सेंकने से आंखों की लालिमा और जलन मिटती है।
- इमली के पत्तों का रस और दूध एक साथ मिलाकर कांसे की थाली में कांसे की या तांबे की कटोरी से घोटकर आंखों की पलकों पर तथा उसके चारों ओर लगाने से आंखों की लाली, जलन और अश्रुस्राव मिटता है।
- नींबू की फांक के ऊपर अफीम व फिटकरी छिड़ककर, उसकी पुल्टिस बनाकर आंखों पर रखने से आंखों की लालिमा दूर होती है। और दुखती आंखें अच्छी होती हैं।
- स्वच्छ रुई को दूध में भिगोकर आंखों पर रखें, ऐसा दिन में 4-5 बार करने से आंखों को ठंडक मिलती है, आंखों की लालिमा, सूजन और वेदना फौरन मिट जाती है।
आंखों से पानी गिरने के नुस्खे (Aankh se Pani Aana Gharelu Upay)
- 25-30 मुनक्का रात को पानी में भिगो दें। सुबह उसे खाकर ऊपर से वही पानी पी जाएं।
- रात को त्रिफला भिगोकर सुबह उस पानी को निथार कर आंखों पर उसके छींटें मारें। इस क्रिया को नियमित करने से आंखों से पानी बहना बंद हो जाता है और आंखों की रोशनी बढ़ती है।
- राई को शहद में मिलाकर सूंघने से आंखों से निरंतर पानी बहना रुक जाता है।
- रात को 5 काली मिर्च चबाकर ऊपर से एक गिलास गर्म दूध का सेवन करें। दो-तीन दिन में ही आराम हो जाएगा।
- दो छोटी इलायची पीसकर रात को एक गिलास दूध में उबालकर सेवन करने से लाभ होता है।
- अमरूद को आग में भूनकर खाने से आंखों से पानी बहना थम जाता है।
- 60 मि.ली. सरसों के तेल में लहसुन की एक गांठ पकाकर उस तेल से सीने गले के आसपास और कानों के चारों ओर मालिश करने से तीन दिनों में ही आंखों से पानी गिरना बंद हो जाता है।
- रात को गरम पानी में एक चुटकी नमक डालकर पिएं।
- धनिया-पुदीने की चाय में चुटकी भर नमक डालकर पिएं।
नज़र की कमजोरी के नुस्खे (Gharelu Nuskhe For Eyesight)
- इलायची के दानों का चूर्ण और शक्कर समभाग में लेकर उसमें एरंड का तेल मिलाकर चार ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह खाने से 40 दिनों में नजर की कमजोरी दूर हो जाती है, इससे आंखों में ठंडक आती है और नेत्र ज्योति बढ़ती है.
- हरा धनिया पीसकर उसका रस निकालकर दो-दो बूंद आंखों में प्रतिदिन डालने से आंखों की ज्योति बढ़ती है।
- रात को सोते समय सप्ताह में तीन दिन दूध में रुई का फाहा भिगोकर आंखों पर रखकर पट्टी बांध लें। इसी तरह कभी-कभी आंखों में दूध (शीतल व स्वच्छ दूध गर्म करने के बाद) की दो-तीन बूंदें डालने से आंखों की शीतलता बनी रहती है और आंखों की रोशनी कभी क्षीण नहीं होती।
- सहिजन का रस 10 मि.ली., शहद 10 ग्राम-इन दोनों के मिश्रण से काजल बनाएं। यह काजल आंखों के लिए बहुत फायदेमंद है। इससे आंखों की ज्योति बढ़ती है और आंखें सदैव निरोगी रहती हैं।
- यदि आंखों की रोशनी धुंधली होती जा रही है, तो संतरे के रस में पिसी हुई काली मिर्च व सेंधा नमक मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें। यह सेवन नियमित तीन महीने तक करना चाहिए।
- बादाम की 9-10 गिरी रात को पानी में भिगो दें। सुबह उन्हें खाकर ऊपर से गाय का दूध पिएं। कमजोर नज़र के लिए लाभदायक होने के साथ-साथ इस नुस्खे से बल-बुद्धि की वृद्धि भी होती है।
- रात को किसी बर्तन में दो चम्मच त्रिफला चूर्ण भिगोकर रख दें,सुबह उठने के साथ उसे स्वच्छ कपड़े से छानकर उस पानी से आंखें धोए या उस पानी से आंखों पर छींटे मारें। इससे आंखों की ज्योति वृद्धावस्था में भी निर्मल और सतेज बनी रहती है।
- एक कप गाजर के रस में पौना कप पालक या चौलाई का रस मिलाकर सुबह सूर्योदय और शाम को सूर्यास्त के समय नियमित रूप से सेवन करने वाले को आंखों के लिए ऐनक की आवश्यकता नहीं रहेगी।
- नीम की पत्तियों को पीसकर रूई की बाती पर लपेटें और उन्हें पंखे की हवा में सुखा लें। फिर रसों के तेल और कपूर के साथ इस बाती को जलाकर काजल बनाएं। यह काजल आंखों को निरोग रखता है।
आंखों के विविध रोग (Aankhon ke Rog ka ilaaj)
आंखों के विविध रोगों को दूर करने के लिए निम्नांकित नुस्खे बहुत लाभकारी सिद्ध हुए हैं :-
- त्रिफला के काढ़े से आंखों को धोना चाहिए। इससे सभी प्रकार के नेत्र रोग दूर हो जाते हैं।
- केसर को शहद में घोटकर आंखों में सलाई से लगाएं।
- सेंधा नमक 5 ग्राम तथा लोध 10 ग्राम-दोनों को आग में जला लें। अब उसे महीन पीसकर शहद या देशी घी में मिलाएं। यह लेप पलकों पर लगाने से हर प्रकार का नेत्र रोग चला जाता है।.
- दुद्धी का दूध आंखों में लगाने से नेत्रों की ज्योति बढ़ती है।
- मुण्डी का अर्क प्रतिदिन लगभग 5 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से चश्मा छूट जाता है।
- सिरस के बीजों की मींग और खिरनी के बीज-दोनों को बराबर की मात्रा में लेकर महीन चूर्ण बना लें। फिर इस चूर्ण को सलाई से अंजन की तरह नित्य आंखों में लगाएं। । गाजर का छिलका खूब महीन पीस लें। फिर इसे आंखों में लगाएं।
- माता के दूध में रसौत घिसकर लगाने से आंखों के सभी रोग दूर होते हैं।
- कपूर को शहद में मिलाकर पलकों पर लेप करने से नेत्रों की सभी बीमारियां जाती रहती हैं।
- सफेद पुनर्नवा की जड़ को अच्छी तरह धोकर घी में घिस लें। फिर उसे आंखों में लगाएं।
- प्याज के रस में शहद मिलाकर बूंद-बूंद दोनों आंखों में डालें।
आंखों को स्वस्थ रखने के लिए क्या खाएं और क्या नहीं | What to Eat and What not to Keep the Eyesight Healthy in Hindi
सभी प्रकार के आंखों के रोगों में हल्के, पौष्टिक तथा सुपाच्य पदार्थ खाना चाहिए। परन्तु क्रोध, शोक, मैथुन, पत्तों का साग, तरबूज, मछली, शराब, चटपटे, खट्टे तथा जलन पैदा करने वाले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके साथ-साथ धूप या अधिक ठंड वाले स्थानों में नहीं घूमना चाहिए। रात को देर तक जागना या पढ़ना भी ठीक नहीं है।
नेत्र ज्योति बढ़ाने वाले पदार्थ | Eat This To Increase Eyesight
नेत्रों की ज्योति बढाने वाले खाद्य पदार्थों का विवरण निम्नलिखित है :-
फल :- केला, संतरा, सेब, चीकू, चकोतरा, अंगूर, पपीता, बेल, खरबूजा, आम, अमरुद, खूबानी आदि.
मेवा :- अखरोट, काजू, बादाम, चिलगोजे, सफ़ेद इलायची, मौलसिरी, खजूर, छुहारे आदि.
सब्जियां :- पालक, कुलफा, चौलाई, मेथी, मूली, धनिया, शलजम, गाजर, टमाटर, सेम, करेला, बैगन, आलू, पत्तागोभी आदि.