जानिए 4 Shahad Khane ke Fayde क्या-क्या होतें है | 4 Health Benefits of Honey in Hindi

नमस्कार दोस्तों!
हम shahad khane ke fayde विषय शुरू करें उससे पहले कुछ बातें समझ ली जाए. आज का मनुष्य आलसी, स्वार्थी और परजीवी हो गया है.

यही कारण है कि उसने प्राकृतिक नियमों को बिल्कुल भुला दिया है.

उसका ध्यान स्वास्थ्य की ओर भी नहीं है क्योंकि वह प्रत्येक कार्य क्षणों में करना चाहता है. क्षणों के इस संसार-चक्र में फंसकर वह उल्टी-सीधी क्रियाएं करने लगा है.

जिस स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए हमारे पूर्वज और ऋषि-मुनि पौष्टिक, प्राकृतिक और उत्तम भोजन करते थे, आज मनुष्य उसकी ओर से विमुख हो चुका है.

यही कारण है कि वह तरह-तरह के रोगों से पीड़ित है. उसके पास उन रोगों से लड़ने की शक्ति नहीं है.

यह बड़े आश्चर्य की बात है कि हमारे पूर्वज जिन जड़ी-बूटियों, घरेलू नुस्खों और शहद जैसी गुणकारी वस्तु को ग्रहण करके दीर्घजीवी और परिपक्व होते थे, उन्हें हमने भुला दिया है.

उसके बदले में हमने विदेशी दवाओं को अपना लिया है जो हमारे देश की जलवायु के अनुकूल नहीं हैं. हम एक प्रकार से एलोपैथी के दास बन गए हैं.

जड़ी-बूटियां और शहद हमें प्राकृतिक जीवन को सहेजने, उसे स्वस्थ रखने की शक्ति प्रदान करते हैं. इसलिए हमारा कर्त्तव्य है कि हम शहद जैसी अनमोल वस्तु तथा टॉनिक को समझने की कोशिश करें.

शहद अपने आप में पूर्ण खाद्योज है. इसमें शरीर को स्वस्थ रखने के सभी तत्त्व मौजूद हैं.

चरक ने शहद के गुणों के विषय में लिखा है,

“मधु देह को पुष्ट, सुडौल, शक्तिशाली और चुस्त बनाने वाला अमृत है. यह सन्तुलित और गुणकारी स्थायी प्रभाव देने वाली वनौषधि है. औषधि की आवश्यकता तो रोगी को होती है किन्तु नीरोगी के लिए मधु जीवन का अमृत तुल्य आहार है. यह बल-वीर्यवर्द्धक, धातु पुष्टकारी और पौरुष शक्ति की वृद्धि में योगदान करता है. सोचिए, मधुमक्खियों ने कितने परिश्रम से उसका निर्माण किया और ऋषियों ने इसकी खोज की है.”

चरक

चरक के शब्दों से प्रमाणित होता है कि शहद स्वास्थ्य को बढ़ाने तथा रोग निवारण के लिए एक टॉनिक है.

आज हम जितने चूर्ण, क्वाथ (काढे) गोलियां आदि लेते हैं उनमें शहद का मिश्रण किया जाता है. इस प्रकार शहद रोग निवारण तथा स्वास्थ्य की रक्षा करने में हमारी सहायता करता है.

शहद पेट की कठिन से कठिन बीमारी को ठीक कर देता है.

वैद्याचार्य शेखर ने लिखा है, “पेट में दर्द या शूल होने की स्थिति में शहद का सेवन करना चाहिए. यह अंतड़ियों में पहुंचकर वायु को सोख लेता है. जिसके कारण उदर की पीड़ा शान्त हो जाती है.”

डॉ. प्रणव आयुर्वेदाचार्य का कहना है, “शहद में रोगों की नस ग्रहण करके उन्हें नष्ट करने की अपर्व क्षमता है.”

इसे पीड़ानाशक, शक्तिवर्द्धक, सदा जीवनदाता, मांस-मज्जा में ऊर्जा उत्पन्न करने वाला अमृत रूप कहा गया है. शिशु के जन्म लेने के लगभग आठ-दस घंटे बाद माता बच्चे को शहद चटाती है.

यदि माता के स्तन में दूध नहीं उतरता तो शहद सोने में सुहागे का कार्य करता है. उस समय केवल शहद ही ऐसा भोज्य पदार्थ होता है जो शिशु के रोने को शान्त करता है.

शहद से शिशु को जीवन-शक्ति, ऊर्जा और खाद्योज मिलता है. इस प्रकार शहद शिशु का पहला भोज है.

प्राचीन काल में शिशु की जीभ पर शहद या गुड़ से ईश्वर का नाम लिखा जाता था ताकि बड़ा होकर बच्चा ईश्वर की शक्ति, याद और सत्यता को न भूल सके.

दूसरी बात यह कि शहद के द्वारा शिशु को स्वाद का ज्ञान कराया जाता है.

ऐसे ही और भी कई fayde है shahad khane ke चलिए जानते है shahad khane ke fayde.

SHAHAD KHANE KE FAYDE (शहद खाने के फायदे)

SHAHAD KHANE KE FAYDE
SHAHAD KHANE KE FAYDE

1. SHAHAD शारीरिक सुडौलता बनता है

SHAHAD KHANE SE शरीर सुडौल बनता है. यह आमाशय में पहुंचकर आंतों में शीघ्र ही पचना शुरू कर देता है. ऐसे ही SHAHAD KHANE KE बहुत LABH है.

अतः रक्त का शोधन करता है, मज्जा को ऊर्जा देता है और अस्थियों में फॉस्फोरस की चिकनाई को बरकरार रखता है. मनुष्य हो या स्त्री-उसकी सुन्दरता और सुडौलता में मांस, मज्जा, खून और हड्डियां चार चांद लगाती हैं. शहद इन सबको अपने नियंत्रण में लेकर रोगों को पनपने नहीं देता.

अतः स्त्री-पुरुषों के शरीर सुडौल बने रहते हैं. शहद के सेवन का शारीरिक सुडौलता के क्षेत्र का यही सबसे बड़ा राज है.

वैद्यों का कहना है कि जो स्त्री-पुरुष शहद का सेवन किसी न किसी रूप में करते हैं उनका शरीर मजबूत तथा स्वस्थ रहता है. उसके शरीर में व्याधियां ठिकाना नहीं ढूंढ पातीं.

वैसे प्रत्येक ऋतु में इसके सेवन से शरीर के भीतर-बाहर पनपने वाली छोटी-मोटी बीमारियां स्वयं अपनी मौत मर जाती हैं.

यह पेट सम्बंधी रोगों, त्वचा और रक्त के दोषों को दूर करने में बहुत महत्वपूर्ण कार्य करता है। इसके खाने से त्वचा तथा आंतों की खुश्की दूर होती है। 

2. SHAHAD पवित्रता और चेतनता से भरपूर

शहद के सेवन से व्यक्ति के मन में पवित्र विचारों की आंधी चलना शुरू हो जाती है। ऐसा माना जाता है कि जब व्यक्ति के शरीर में कोई रोग नहीं होता तो वह स्वस्थ और प्रसन्न दिखाई देता है।

इन दोनों भावों के कारण वह कठिन परिश्रम से भी नहीं घबराता और परिश्रम से उसका भाग्य दो कदम आगे बढ़ता है, अर्थात् वह धन कमाता है.

फिर जब चारों ओर उसे सुख ही सुख दिखाई देता है तो उसकी चेतना उसके विचारों को पवित्र बनाए रखती है. बस पवित्रता का छोटा-सा रहस्य यही है.

सोचिए, यह किसकी बदौलत हुआ? केवल शहद के सेवन से. अतः शहद के सेवन का सबसे बड़ा लाभ यही है कि यह व्यक्ति के आचरण को सही रखता है.

वह विवेकहीन होकर कोई कार्य नहीं करता है. उसका हृदय सही कार्यों को करने की आज्ञा प्रदान करता है और मस्तिष्क उनको सम्पन्न करने के लिए दो कदम आगे बढ़ाता है.

इस प्रकार शहद मस्तिष्क की शिराओं को प्रबुद्ध बनाए रखता है। इसके सेवन से व्यक्ति बुरे विचारों को त्याग देता है.

वह मधुमक्खियों के समान परोपकारी, सहृदय, मधुभाषी और धैर्यशाली हो जाता है. मुसलमानों में यह कहावत बहुत प्रसिद्ध है कि जन्नत में हूरें हैं और शहद की नदियां बहती हैं.

उनकी यह बात सच भी साबित हुई. अरबों, तुर्कों, मुगलों आदि ने, जो इस्लाम के अनुयायी थे, जब भारत पर आक्रमण किए तो यहां की धरती उनको स्वर्ग के समान दिखाई दी क्योंकि उन्होंने कभी इतने सुन्दर स्थान स्वप्न में भी नहीं देखे थे.

भारत की धरती पर उनको सुन्दर स्त्रियां देखने, अपहरण करने के लिए मिलीं और शहद, मिठाई, खाण्ड, शक्कर, गुड़ आदि खाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.

सच बात तो यह है कि जो व्यक्ति आचरणवान है तथा जिसकी वाणी में मधुरता है उसके लिए शहद दवा भी है और दुआ भी.

3. SHAHAD दिव्य गुणों से परिपूर्ण

चरक ने लिखा है कि शहद शरीर के अंगअंग और शिरा-शिरा को नीरोग बना देता है. यह पेट के सभी रोगों का शत्रु है. यह त्रिफला के समान ऊर्जा प्रदान करता है.

इसका धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से परिपालन तथा सेवन करने वाला व्यक्ति कभी दुःखी नहीं रहता.

इसी कारण इसे दिव्यगुणों से परिपूर्ण माना गया है क्योंकि पेट से सभी रोग चलते और पनपते हैं लेकिन शहद चूंकि पेट में पहुंचकर पाचन क्रिया को सुधारता है, तो फिर रोगों को पनपने के लिए स्थान कहां है.

पेट में दर्द होने पर यदि शहद पानी में घोलकर पिला दिया जाए तो कुछ ही देर में दर्द रुक जाता है.

यह वायु को बाहर निकालता है और अफरा को कम करता है.

इसके सेवन से दस्त रुक जाते हैं. बच्चों के मसूडों पर मलने से दांत जल्दी निकलते हैं.

यदि काली मिर्च के चूर्ण में शहद मिलाकर रोगी को दे दिया जाए तो उसका बुखार निकल जाता है.

दाद, खाज, खुजली, आंतों आदि के लिए शहद बहुत उपयोगी है.

पानी में घोलकर पीने से यह लू की प्यास को शान्त करता है तथा अन्यान्य रोगों को नष्ट कर देता है.

4. SHAHAD एक चिकनाई(GREASY) तथा मृदुता(SOFT) का पुंज

शहद में चिकनाई, मृदुता तथा तैलीय अंश भी पाया जाता है. इसमें खाद्योज (विटामिन), फॉस्फोरस, शर्करा, लवण, गंधक आदि के प्रभावकारी तत्त्व पाए जाते हैं.

इसी कारण इसके सेवन से त्वचा में निखार आता है. स्निग्धता तथा मृदुता के गुणों के कारण शरीर का रूखापन दूर होता है.

इन सब तत्त्वों की कमी के कारण मनुष्य की मानसिक शक्ति कुंठित हो जाती है तथा सांसारिक कार्यों में उसका मन नहीं लगता. वह आलस्य और स्फूर्तिहीनता से घिरा रहता है.

फॉस्फोरस तथा चिकनाई का अंश व्यक्ति के मस्तिष्क के रंध्रों को बंद नहीं होने देता, जिसके फलस्वरूप वह चमत्कारपूर्ण कार्य करता है. स्मरणशक्ति को बढ़ाने तथा आध्यात्मिक शक्ति को बनाए रखने में शहद बहुत काम करता है.

यह बात सब जानते हैं कि मांस-मछली और मदिरा का सेवन करने वाले स्त्री-पुरुष सत्कार्य करने में असमर्थ रहते हैं. इस दृष्टि से भी शहद का बहुत महत्व है, क्योंकि शहद खाने या इसका शरबत बनाकर पीने से मनुष्य ज्ञानवान, वैज्ञानिक, ईश्वर भक्त और विवेकशील हो जाता है.

SHAHAD जीवन-शक्ति है

हमारे देश में ऋषियों, मुनियों और वैद्यों ने हजारों वर्ष पहले इस तथ्य की खोज कर ली थी कि शहद में इतने गुण हैं कि पेट में पहुंचने पर उसे पाचन-क्रिया को संचालित करने की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि बिना किसी क्रिया की सहायता से स्वयं पच जाता है.

मतलब यह कि शहद दूध, दही, रबड़ी, पेय पदार्थों आदि से पहले पचने की शक्ति रखता है. उसे पचाने के लिए आंतों को अपनी चक्की नहीं चलानी पड़ती.

अनोखे है SHAHAD KHANE KE FAYDE

आमाशय में ग्रंथियों से जो पाचक रस छूटता है उसे शहद तुरन्त ग्रहण कर लेता है और पाचक-तत्त्वों तथा जीवनी-शक्ति के रूप में बदल देता है.

इस कारण बच्चे, जवान और बूढ़े सभी इसको खाकर तीव्रगति से शारीरिक विकास करते हैं.

चूंकि शहद में रोगों को चूसने की भी शक्ति होती है इसलिए किसी भी प्रकार का रोग उन्हें नहीं लगता. शरीर में प्रवाहित होने वाले रक्त में यह सीधा जाकर मिल जाता है।

हमारे देश के धार्मिक कार्यों में भी मधु की जरूरत पड़ती है. जन्म संस्कार, उपनयन संस्कार, विवाह संस्कार, स्वर्गधाम संस्कार आदि में मधु के बगैर हमारा काम नहीं चलता.

पंचामृत, मोक्षदायिनी क्रिया, पिण्डदान, कथा-भागवत आदि में मधु का प्रयोग अनिवार्य रूप से किया जाता है. मधु को अमृत की श्रेणी में रखने का प्रमुख कारण यही है कि यह संस्कारों को निभाता है.

हमारे बोलने-चालने की क्रिया में भी शहद का उदाहरण और उपमा दी जाती है. मीठी वाणी बोलने वाला व्यक्ति अपनी बोली से सचमुच शहद टपकाता है.

इस प्रकार का आचरण बड़ा विचित्र और आनंददायक है. हलवाई की मिठाइयां, दूध, मीठे फल, मीठे मेवे, दादी मां के लड्डु, माता का दूध-सब शहद के सामने फीके हैं.

जो बात शहद में है वह मुनक्का , किशमिश, अंगूर और दशहरी आम में भी नहीं है. फिर सबसे बड़ी बात यह कि फल, मेवे आदि मौसमी हो सकते हैं लेकिन शहद की महत्ता प्रत्येक मौसम में है.

यह बसंत का भाई, शरद का मित्र और ग्रीष्म का सम्बंधी है. इसमें ऋतुओं की सुगंध और वर्षा की मधुर ध्वनि है.

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SHAHAD KHANE SE दीर्घायु प्राप्त होती है

हमारे देश के प्रसिद्ध संत विनोबा भावे भोजन कम और शहद का अधिक सेवन करते थे. शहद की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह हजार वर्ष बाद भी पूर्ववत् बना रहता है.

इसमें गलने या सड़ने की क्रिया नहीं होती क्योंकि इसमें ऐसे तत्त्व पाए जाते हैं जो अन्य किसी फल, मेवा या औषधि तक में नहीं पाए जाते.

इस प्रकार जो चीज स्वयं में पूर्ण है वह दूसरों को भी पूर्णत्व प्रदान करने की शक्ति रखती है. शहद दूसरों को दीर्घायु इसी कारण बनाता है क्योंकि उसमें अधिक समय तक बने रहने की ऊर्जा है.

जब हम भीतर से प्रसन्न रहते हैं तभी हमारे चेहरे पर खुशी के भाव झलकते हैं. जो व्यक्ति हृदय से दु:ख, दर्द, शोक, ईर्ष्या-द्वेष में डूबा हुआ है वह दूसरे को खुशी कैसे बांट सकता है.

परन्तु शहद भीतर-बाहर दोनों तरफ से मीठा और सुख देने वाला है. इसमें दूध की शक्ति और घी का वर्द्धन है. आगे और भी मिलेंगे SHAHAD KHANE KE FAYDE.

शहद में योगवाही का गुण भी है. मतलब यह कि शहद दूसरे पदार्थों में मिलने के बाद भी अपने गुणों को खोता नहीं.

चूर्ण, चटनी, शरबत, काढ़ा आदि में मिलने के बाद उसकी शक्ति को और अधिक बढ़ा देता है. पानी में मिलाकर पीने से पेट की समस्त बीमारियों को शान्त कर देता है.

दूध में मिलाकर पीने से यह दूध की पुष्टिकारक शक्ति का संवर्द्धन करता है. कहते हैं यदि रोटी पर घी की जगह शहद चुपड़ा जाए तो यह रोटी को शीघ्र पचा देता है और पेट के कीड़ों को मार देता है.

दूसरे शब्दों में शहद संतों के समान सुख और आनंद बांटने वाला है.

शहद का एक गुण यह है कि यह सभी प्रकृति वाले व्यक्तियों के लिए लाभकारी है. इसके सेवन से वात, पित्त और कफ प्रकृति वाले व्यक्ति किसी भी समय और किसी भी मौसम में लाभ उठा सकते हैं.

यह सुख, दयालुता और ममता का मिश्रण है. इसमें मिश्री से भी सौ गुणा अधिक गुण हैं.

यही कारण है कि यह बच्चों, जवानों और वृद्धों सभी को समान रूप से अपना खजाना लुटाता है. यह किसी के साथ पक्षपात नहीं करता. इसकी दृष्टि में धनी, निर्धन, साधु-संत, धर्मी-विधर्मी सब एक समान हैं.

इसकी हरेक बूंद में अमृततुल्य गुण भरा है. वैद्याचार्यों, चिकित्सकों और आधुनिक डॉक्टरों सभी के लिए शहद जन्मदाता है. हजारों दवाएं, चाहे वे देशी हों या विदेशी, शहद के योग से बनती हैं.

कुछ बच्चों को तो माताओं का दूध शुरू से ही नहीं मिलता, उनको नर्से तथा धायी शहद चटाकर जीवित रखती हैं.

क्योंकि वे जानती हैं कि माता के दूध का यदि कोई स्थान ले सकता है तो वह शहद ही है. चूंकि शिशु दंतविहीन होता है इसलिए वह कोई कड़ी चीज नहीं ले सकता. शहद चटाने या पानी में घोलकर देने, अर्थात् दोनों रूपों में प्रयोग किया जाता है.

मतलब यह कि यह बच्चे की नई आंतों में आसानी से पच जाता है. बच्चे को शहद के रूप में पूर्ण भोजन मिल जाता है.

SHAHAD KHANE SE सुन्दरता बढती है

शहद का सेवन करते रहने से शरीर सुडौल और हृष्ट-पुष्ट तो बनता ही है, इसके साथ-साथ यह सौन्दर्य का भी संवर्द्धन करता है. बोला था ना SHAHAD KHANE KE FAYDE अनेक है.

इसके सेवन से चेहरा हर समय गुलदाउदी के फूल की तरह खिला रहता है क्योंकि यह शरीर के छोटे-मोटे रोगों को आत्मसात् करके शरीर में चुस्ती-फुर्ती भर देता है. यही फुर्तीलापन व्यक्ति के चेहरे पर फूल की तरह खिला रहता है.

चूंकि बढ़िया शहद वही माना जाता है जिसे मधुमक्खियां फूलों के मकरन्द को चूस-चूसकर बनाती हैं, इसलिए फूलों के सारे तत्त्व शहद में भी आ जाते हैं.

आजकल खोजों से पता चला है कि स्त्रियों को कॉस्मेटिक प्रसाधनों की जगह चेहरे पर शहद का पेस्ट लगाना चाहिए. यह चेहरे के दाग-धब्बों को नष्ट करता है, चिपचिपे चेहरे को खुश्क करता है, पसीने की दुर्गंध को दूर करता है, मुंहासों को खत्म करता है और चेहरे पर चिकनापन लाता है.

इन सब बातों के मेल के कारण चेहरे की त्वचा मुलायम, आकर्षक, मादक और गुलाबी हो जाती है. इस प्रकार शहद में सौन्दर्य का खजाना छिपा हुआ है.

यह बुढ़ापा आने नहीं देता और जवानी को जाने नहीं देता. त्वचा मखमली और गुलाबी बनाने में शहद का बहुत योगदान है.

SHAHAD के पोषण संबंधी तथ्य

Nutrient (100 g Honey)Value
Calories304
Fat0 g
Cholesterol0 mg
Sodium4 mg
Potassium52 mg
Total Carbohydrate82 g (all Sugar)
Protein0.3 g
Nutritional Facts of Honey

लोग यह भी पूछते हैं:

  • Shahad सबको अच्छा क्यूँ लगता है?

    ऐसी बहुत-सी चीजें, दवाएं तथा पेय पदार्थ हैं जिनके बारे में बहुत से लोग नहीं जानते, परन्तु शहद के लिए इस प्रकार की कोई बंदिश नहीं है. धनी-निर्धन, छोटा-बड़ा, मूर्ख-विद्वान, सभी शहद के नाम से परिचित हैं.

    सभी जानते हैं कि शहद दवाओं में मिलाने या खाने के काम आता है. सबको पता है कि शहद को मधुमक्खियां इकट्ठा करती हैं लेकिन मनुष्य उनके भोजन को छीन लेता है.

    इतना महत्वपूर्ण होते हुए भी शहद के विषय में कमी की एक बात यह है, शुद्ध शहद बड़ी मुश्किल से मिलता है. यही कारण है कि अनुसंधानकर्ता और चिकित्सक शहद का विकल्प ढूंढने लगे हैं.

    यद्यपि आजकल डाबर, वैद्यनाथ, चरक, हिमालयन, झंडू, गुरुकुल कांगड़ी आदि पेटेन्ट दवाओं के निर्माता शहद का निर्माण भी बड़े पैमाने पर करने लगे हैं.

    वे अपने-अपने शहद की शुद्धता की गारंटी देते हैं, परन्तु इतने पर भी आम लोगों को सीलमुक्त शहद पर विश्वास नहीं रहता.

    देश-विदेश में शहद की बहुत मांग है, परन्तु शुद्ध शहद न मिलने की स्थिति में लोगों को इसी शहद से काम चलाना पड़ता है.

    मधुमक्खियां फूलों की पंखुड़ियों तथा मकरंद से बूंद-बूंद करके शहद ले जाकर छत्ते में इकट्ठा करती हैं, जिसे मनुष्य प्राप्त करने के लिए छत्ते को तोड़ डालता है.

    शहद प्राप्त करते समय हजारों मधुमक्खियां भी मारी जाती हैं.

    शुरू में मधुमक्खियां पतला शहद बनाती हैं लेकिन कुछ समय पश्चात् वे उसमें अपनी गोंद तथा घी के समान चिकनी लार को पानी जैसे शहद में मिलाकर उसे गाढा बनाती हैं.

    यदि शहद में पतलापन अधिक होता है तो वह उसे अपने पंखों से हवा करके सुखा देती हैं.
    उनकी लार में मोम भी निकलता है जो शहद में स्निग्धता का अंश छोड़ता है.

  • शुद्ध Shahad की पहचान कैसे करें?

    शुद्ध शहद की क्या पहचान है, इसे विद्वानों ने अपने-अपने ढंग से व्यक्त किया है. अतः उन्हीं के बनाए हुए संकेतों के आधार पर हम शहद की शुद्धता की चर्चा करेंगे. शुद्ध shehad की पहचान के कुछ निर्देश निम्नलिखित हैं। :-

    वैसे तो शहद का रंग कुछ मटमैला और लाल रंग का होता है। लेकिन यह भूरा, हरा और कुछ सफेद रंग का भी होता है। इसमें छोटे-छोटे दाने भी देखने को मिलते हैं जो शायद मोम के होते हैं।

    शहद में फूलों की गंध बसी होती है। उदाहरण के लिए यदि मधुमक्खियां गुलाब के मकरंद से शहद बनाती हैं तो शहद में गुलाब की सुगंध मालूम पड़ेगी। परन्तु यदि वे नीम के फलों से गंध लेती हैं तो वह शहद निम्बौली की महक छोड़ेगा। वैसे सबसे अच्छा शहद नीम की डालों पर छत्ता बनाने वाली मधुमक्खियों का होता है।

    शहद इकट्ठा करने के लिए मधुमक्खियों को बहुत परिश्रम करना पड़ता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि मधुमक्खियां अपने छत्ते के सभी खानों को महीनों में भर पाती हैं लेकिन मनुष्य है कि देखते-देखते उनके परिश्रम को नष्ट करके अपना भला कर लेता है। सचमुच इस क्षेत्र में मनुष्य बड़ा स्वार्थी और लोभी है।

    शहद उपयोगी दवा से भी अधिक गुणकारी होता है। कभी-कभी शहद में विषैले अंश भी आ जाते हैं क्योंकि कुछ फूलों का मकरंद जहरीला होता है। ऐसे शहद को खाकर मनुष्य को लाभ की जगह हानि अधिक हो सकती है। परन्तु विषैले शहद की पहचान सभी को नहीं होती। कुछ ही विद्वान विश्लेषणकर्ता ऐसे शहद को पहचान सकते हैं। इसीलिए कहा गया है कि छत्ता तुड़वाने के बाद शहद को चखकर नहीं देखना चाहिए। उसका पहचान विशेषज्ञों से कराने के बाद उसे उपयोग में लाना चाहिए।

    पहाड़ी मधुमक्खियों द्वारा इकट्ठा किया जाने वाला शहद अधिक उपयोगी नहीं माना जाता क्योंकि उसमें शोधित मकरंद का रस नहीं के बराबर होता है। फिर भी यह शहद विष का हरण करने वाला और हृदय को शक्ति प्रदान करने वाला होता है।

    शहद के गुण-धर्म के विषय में यह भी माना जाता है कि शहद जितना पुराना होगा उतना ही वह गुण-धर्म में श्रेष्ठ भी होगा। पुराने शहद का रंग कुछ श्यामवर्ण हो जाता है। इस शहद में लौह-तत्त्व का अंश अधिक मात्रा में पाया जाता है।

    आजकल शहद बनाने वाली कम्पनियां शक्कर, गुड़, शीरे आदि से शहद बनाती हैं और एगमार्क का लेबल लगाकर शुद्ध शहद के रूप में बेचती हैं। इसलिए इसमें दो राय नहीं कि शहद के मामले में धोखाधड़ी और ठग विद्या बहुत है । बीस रुपए किलो की चीनी या बारह रुपए किलो के गुड़ द्वारा बनाया गया शहद 150 और 200 रुपए किलो बेचा जाता है। हमारी सरकार इन ठगों से टैक्स वसूल करती है, थोक में वोट और चंदा लेती है इसलिए आंखें मूंद लेती है। फिर भी कुछ ऐसी आम विधियां हैं जिनके माध्यम से नकली शहद की पहचान की जा सकती है।

    कहते हैं कि असली शहद भारी होता है। वह पानी में डालने पर नीचे तली में बैठ जाता है, घुलता नहीं है।
    असली शहद पर मक्खियां बैठकर तुरन्त उड़ जाती हैं क्योंकि शुद्ध शहद के तत्त्व मक्खी के पंखों पर चिपकते नहीं हैं।

    शुद्ध शहद को रुई की बत्ती पर लगाकर जलाकर देखा जाता है। वह सरसों के तेल की तरह जलने लगता है। लेकिन नकली शहद की बत्ती जलते समय शक्कर की गंध छोड़ने लगती है।

    शुद्ध शहद को हमारे पूर्वज सलाई से आंखों में भी लगाते थे। ऐसा शहद पलकों पर चिपकता नहीं है। यह आंखों की रोशनी बढ़ाता है तथा गंदा पानी बाहर निकाल देता है।

  • SHAHAD का उचित उपयोग कैसे करे?

    शहद को कभी गरम करके नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसके तत्त्व जल जाते हैं और शहद विषैला हो जाता है।

    चूर्ण, चटनी, काढ़ा, रस आदि को हल्का गरम करके उसमें शहद को मिलाकर लिया जा सकता है।
    शहद और घी, शहद और नीबू, शहद और मक्खन, शहद और चर्बी, शहद और अर्क, शहद और पानी आदि बराबर की मात्रा में मिलाकर कभी नहीं खाना चाहिए।

    चाय, कॉफी, फलों के रस आदि में भी शहद मिलाकर इस्तेमाल न करें। दूध व पानी की अधिक मात्रा में कम शहद मिलाकर सेवन करें।

    जहां तक हो सके शहद को कभी अकेला सेवन न करें। उसमें रस. दूध, पानी आदि मिलाकर उपयोग में लाएं।

    गर्मी के मौसम में शरबत, नीबू-पानी या सादे पानी में शहद मिलाकर सेवन न करें।

    किसी भी तरह के ज्वर, जुकाम या अन्य किसी रोग में शहद का ___ इस्तेमाल चाटने वाली या पीने वाली दवा में मिलाकर करें।

    गुड़, खांड, राब, खजूर आदि के साथ शहद का सेवन न करें क्योंकि शहद से मूल वस्तु में विषैले तत्त्व बढ़ जाते हैं।

    जाड़े की ऋतु में शहद दूध के साथ लेने पर बहुत लाभकारी होता __ है। वर्षा ऋतु में शहद अदरक के रस, लाल इलायची के चूर्ण, कालीमिर्च के चूर्ण आदि में मिलाकर लेना चाहिए।

    किसी मूल वस्तु में शहद मिलाने के बाद उसका प्रयोग तुरन्त करना चाहिए। उसे रखने के बाद प्रयोग न करें।

  • SHAHAD में पाए जाने वाले तत्त्व कौन-कौन से होते है?

    शहद में सबसे ज्यादा शर्करा का अंश होता है। परन्तु शहद की शर्करा (शक्कर), गन्ना, चुकन्दर, अंगूर, फलों, खजूर आदि की शर्करा से अधिक लाभकारी तथा तीव्र होती है। इसलिए इस शर्करा को गुणकारी माना गया है।

    इसमें कैल्शियम, फॉस्फोरस, लौहतत्त्व, गंधक, पोटाशियम और गंधक जैसे खनिज तत्त्व 10.5% पाए जाते हैं।

    शहद में विटामिन (खाद्योज), प्रोटीन, चिकनाई आदि के तत्त्व भी मिलते हैं।

    शहद में कैलोरीज की मात्रा सर्वाधिक होती है। इसलिए यह हृदय को शक्ति देता है और त्वचा के वर्ण को निखारता है। उस पर सर्वोत्तम बात यह है कि यह गरीब व अमीर सभी का चहेता है।

निष्कर्ष (CONCLUSION)

हमने इस लेख में जाना की SHAHAD KHANE KE FAYDE क्या-क्या होते है और SHAHAD के पोषण संबंधी तथ्य.

हमने और भी बहुत कुछ जाना है जैसे, Shahad सबको अच्छा क्यूँ लगता है, शुद्ध Shahad की पहचान कैसे करें, SHAHAD का उचित उपयोग कैसे करे और SHAHAD में पाए जाने वाले तत्त्व कौन-कौन से होते है.

आपको क्या लगता है इस लेख को पढने के बाद आप भी SHAHAD खायेंगे या नही?

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